ऑक्सीटोसिन वाला दूध पीने से बच्चों का हाजमा खराब, बड़ों में नपुंसकता, जानिए, प्यार बढ़ाने वाला हॉर्मोन कब बनता दुश्मन

नई दिल्ली: पूरे देश में गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस मामले में ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल की जांच करने को कहा है। कोर्ट ने कहा-ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाना पशुओं के

4 1 7
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: पूरे देश में गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस मामले में ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल की जांच करने को कहा है। कोर्ट ने कहा-ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाना पशुओं के साथ क्रूरता है। रिसर्चगेट पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सर्वे में कहा गया है कि भारत में 65 फीसदी डेयरी फॉर्म ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल कंसंट्रेट फीडिंग में करते हैं। वहीं 13 फीसदी दूध बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। ऑक्सीटोसिन वैसे तो प्यार बढ़ाने वाला प्राकृतिक हॉर्मोन है, मगर इसे आर्टिफिशियल तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह सेहत का दुश्मन भी बन सकता है। हालांकि, सरकार ने इसकी खुलआम बिक्री पर रोक लगा रखी है, मगर मेडिकल स्टोर्स पर यह अब भी धड़ल्ले से बिकती है।ऑक्सीटोसिन बनाए अहंकारी, दूसरों से श्रेष्ठ होने की भावना
नीदरलैंड में एम्सर्टडम विश्विद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर दुधारू पशु से ज्यादा दूध लेने के लिए उसे ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन दिया जाए तो उस दूध को पीने वाले में कई विकार पैदा हो सकते हैं। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ एडवांसमेंट ऑफ साइंस की मैगजीन 'प्रोसीडिंग्स नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस' में 2011 में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, ऑक्सीटोसिन वाले ऐसे दूध को पीने से अपने समुदाय और जाति को दूसरे से श्रेष्ठ समझने की भावना बढ़ जाती है।

oxytocin1.

ऑक्सीटोसिन वाला दूध पीने से बच्चों का हाजमा खराब, आंखों पर चश्मा
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगे दूध को पीने से 5 साल तक के बच्चों का पाचन खराब हो सकता है। उनकी आंखों पर चश्मा चढ़ सकता है। 5 से 15 तक के बच्चों का विकास बाधित हो सकता है। लड़कों की मैमरी ग्लैंड बढ़ सकती है। वहीं लड़कियों में कम उम्र में पुबर्टी आ सकती है। 15 से 30 साल के युवाओं में हॉर्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिसे चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन की शिकायत हो सकती है। ऐसा दूध पीने से प्रेग्नेंट महिलाओं में अबॉर्शन का खतरा बढ़ जाता है। उनकी इम्युनिटी बिगड़ सकती है। उन्हें स्तन कैंसर तक का भी खतरा हो सकता है। वहीं, 45 पार के लोगों को ऐसा दूध पीने से पेट हमेशा खराब रह सकता है। एसिडिटी और जलन की शिकायत हो सकती है। डॉक्टरों का यहां तक कहना है कि इससे प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। लड़कियां उम्र से पहले ही बड़ी दिखने लगती हैं।

क्या है ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन, जिससे बढ़ता है प्यार
ऑक्सीटोसिन एक हॉर्मोन है, जो ब्रेन की मास्टर ग्लैंड में पाई जाती है। मटर के दाने जैसी इस ग्लैंड को वैसे तो पिट्यूटरी ग्लैंड कहा जाता है। यह ग्लैंड हमारे दिमाग के हाइपोथैलेमस से निकलने वाले ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन को स्टोर करती है। ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन प्राकृतिक हॉर्मोन है, जो प्रसव के समय रिलीज होता है और बच्चे के लिए मां के स्तनों से दूध निकलने को प्रेरित करता है। इसे लव हॉर्मोन या कडल हॉर्मोन भी कहते हैं, क्योंकि इसकी वजह से प्यार बढ़ता है। ऑक्सीटोसिन की खोज 1950 के दशक की शुरुआत में अमेरिकी बायोकेमिस्ट विंसेंट डू विगनॉयड ने की थी। उन्होंने पाया कि ऑक्सीटोसिन का निर्माण 9 तरह के अमीनो एसिड से होता है। उन्होंने ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन प्रयोगशाला में बनाया। इस काम के लिए उन्हें 1955 में केमिस्ट्री का नोबेल दिया गया।
oxytocin2.

प्रसव आसान बनाने के लिए पशुओं पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल
ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन को जब आर्टीफिशियल तरीके से बनाया और इस्तेमाल किया जाता है तो यह उस पशु और उसके दूध का इस्तेमाल करने वाले इंसान के लिए काफी नुकसानदेह साबित होता है। उत्तराखंड के ऋषिकेश में पशु चिकित्सक डॉ. मनोज तिवारी कहते हैं कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल उन पशुओं पर किया जाता है, जिन्हें प्रसव में समस्या आती है। इसका मुख्य काम है गर्भवती गायों या भैंसों को प्रसव के समय गर्भाशय को संकुचित करके नवजात को बाहर आने में मदद करना। इसे जब आम पशुओं पर इस्तेमाल किया जाता है तो इससे दूध वाली ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़ जाती है और अप्राकृतिक रूप से दूध बहने लगता है। डेयरी वाले ज्यादा दूध के चक्कर में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।


ऑक्सीटोसिन वाला दूध पीने से दिल की धड़कन अनियमित
इंटरनल मेडिसिन में एक्सपर्ट डॉ. रविकांत चतुर्वेदी कहते हैं कि शरीर में ज्यादा मात्रा में ऑक्सीटोसिन पहुंचने से मूड खराब रहता है, छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता है। दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है और पुरुषों में नपुंसकता का खतरा हो सकता है। वहीं, महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को तो ऐसा दूध पीने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
oxytocin5.
पैक्ड दूध में भी ऑक्सीटोसिन और प्लास्टिक
पाकिस्तान की पंजाब यूनिवर्सिटी के जर्नल ऑफ जूलॉजी में छपी एक रिसर्च में कहा गया है कि ऑक्सीटोसिन से पशुओं के साथ-साथ इंसानों की भी सेहत बिगड़ रही है। इसकी ज्यादा मात्रा मां और पैदा होने वाले बच्चे में विकार पैदा कर सकती है। भारत या पाकिस्तान की 70 फीसदी आबादी पैक्ड दूध का इस्तेमाल करती है। ऐसे में इसमें ऑक्सीटोसिन के साथ-साथ प्लास्टिक के माइक्रो पार्टिकल्स भी होते हैं, जो महिलाओं और पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ा सकते हैं।

सब्जियों को जल्दी पनपने में भी इस्तेमाल
कई जगहों पर यूरिया-डाई और कीटनाशकों के साथ किसान सब्जियों में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगा रहे हैं। लौकी, तोरई, सीताफल, कंकड़ी-खीरे में इसके लगाने से रातों-रात सब्जियां बड़ी हो जाती हैं। जिन्हें अगले दिन तोड़कर बाजार में बेच दिया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार ऑक्सीटोसिन युक्त सब्जी खाने से व्यक्ति के रिप्रोडॅक्टिव सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। पशु का दूध पीने से दिक्कत होती है। समय से पहले परिपक्वता आने लगती है। गुर्दों की सेहत खराब होने लगती है।
oxytocin4.
क्या कहता है पशु क्रूरता निवारक निरोध कानूनसरकार ने पशुओं के प्रति क्रूरता या बिना वजह यातना देने से रोकने के लिए प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एक्ट, 1960 का प्रावधान किया है। इस एक्ट के सेक्शन 12 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी गाय या अन्य दुधारू पशु को दूध बढ़ाने के लिए ऐसा कोई काम करता है, जिससे उस पशु की सेहत को नुकसान पहुंचता है तो उसे 2 साल तक की कैद या 1000 रुपए जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती है। ऐसे में बिना वजह ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाना संज्ञेय अपराध है। इसके अलावा, फूड एंड ड्रग एडल्टरेशन प्रीवेंशन एक्ट, 1940 में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन को अनुसूची एच में रखा गया है, जिसका मतलब यह है कि पशु चिकित्सक के परामर्श और निगरानी में ही ऑक्सीटोसिन लगाया जा सकेगा। इसके जबरन इस्तेमाल पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Bathinda News- खालिस्तानी नारे लिखने की फिराक में थे SFJ के तीन समर्थक, पुलिस ने किए गिरफ्तार; बरामद हुआ ये सामान

स्वर्णिम भारत न्यूज़ संवाददाता, बठिंडा।Punjab News: थाना सिविल लाइन और सीआईए स्टाफ की टीम ने बठिंडा शहर में खालिस्तान समर्थक नारे लिखने की ताक में घूम रहे सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के साथ जुड़े तीन ओर समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है।

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now